Tuesday 28 March 2017

सुखी वैवाहिक जीवन का महामन्त्र

                                          संसार मे कौन ऐसा व्यक्ति  होगा जो सुखद वैवाहिक जीवन का आनन्द लेना नहीं चाहता होगा, परन्तु ऐसा सौभाग्य सबको नहीं मिलता। यह प्रकृति का नियम है कि कोई भी दो व्यक्ति रंग, रूप,व्यवहार, स्वाभाव, और संसकार में एक समान  नहीं होते, क्योंकि सबका पालन, पोषण, प्रकृति, व्यवहार, संस्कार और परिवेश एक समान नहीं होता। विवाह पूर्व पति या पत्नी अपने अनुकूल खोजना गलत नहीं है पर विवाह के बाद एक दूजे को जो है जैसा है उसी रूप में स्वीकार करना ही बुद्धिमानी तथा सर्वथा उचित है। एक दूजे के प्रति विश्वास तथा समर्पण ही सुखद वैवाहिक जीवन का आधार है। वहीँ एक दूसरे के विचारों एवम इच्छा-अनिच्छा का सुन्दर तालमेल वैवाहिक जीवन की गाड़ी में मधुर घंटियों की आवाज़ पैदा करता  है।
एक लडकी जो अपने पैदाइसी माता-पिता के घर को छोड़कर पराए घर मेँ तमाम आशा-आकांक्षाओं के बीच अपना कदम रखती है, उसे बदले में क्या चाहिए होता है? मात्र ससुराल वालों का स्नेह, सम्मान औऱ पति का प्यार। यदि ससूरालवालो ने अपना लिया तो ठीक वरना  लड़की का जीवन नरक बन जाता है। ऐसी स्थिति में पति ही एक मात्र सहारा होता है और अगर वह ही साथ न दे तो? एक पति का परम् कर्तव्य है अपनी पत्नी की मान मर्यादा और इज्जत की रक्षा करना।
अगर पति थोड़ा समझदार हो, पत्नी की भावनाओं की कदर करने वाला हो और न्यूनतम आवश्यकतऔ को पूरा करने वाला हो तथा वैवाहिक जीवन को सन्तुष्ट करने में सक्षम है तो उस व्यक्ति का वैवाहिक जीवन  अवश्य ही सफल होगा।पत्नी को भी पति के मनोनुकूल पथगामी और उसकी कुल इज्जत को बढाने वाली होनी चाहिए।इन सारी बातों पर मधुर वैवाहिक जीवन कायम हो सकता है।

Monday 27 March 2017

सुखी जीवन का महामंत्र

सुखी जीवन का म हामंत्र खुश रहना  है। खुश या दुखी रहना हमारे ही हाथ मे है। कोई भयि व्यक्ति हमारी मरजी के बिना हमे दुखी नही कर सकता। खुशहाली की चाभई अपने हाथ रखीये । कोई भई व्यक्ति अपनी मरजी से आ पको चलाये एसई स्थिति नही आने दीजिए। ऐसे रीमेट कार कभई जीवन मे खुश नही रह् सकता।
खुसई हमारे भईतर ही समाहित है। इसे दुसरो कि मरजी मे खोजने कि कोशिश न क रे। खूब खाये पीये, मसति करे। खुसई सयम मे बदलाव लाने से मईलेजी।

Saturday 25 March 2017

अवसर के महत्व को समझो

ईश्वर हम सभी को समान अवसर प्रदान कर्ता है। यह हम पर निर्भर कर्ता है कि हम उस अवसर का कितना उपयोग कर पाते हैं।  बाद मे सिर्फ पछताने के अलावा कुछ नहीं बचता। कबीर दास ने ठीक ही कहा है - अब पछताबत होता क्या, जब चिडिया चुग गयी खेत। इस लिए हमे चाहिए कि हम समय का पुरा पुरा लाभ उठायें ताकि कल हमे पछताने और अफसोस करने कि नौबत न आये। परिवर्तन  संसार का नियम है और इतिहास गवाह है कोई भी  व्यक्ति  कितना भी शक्तिशाली क्यो ं न रहा हो, समय बदलते ही उसे अर्श से फर्श  पर आने मे देर नहीं लगी।
          इसलिए बुद्धिमानी इसी में है कि हम अवसर कि ठीक ठीक पहचान करें और उसका पूरा पूरा फायदा  उठायें।