Monday 29 May 2017

अंतरमन का दुःख

आज दुनिया में आदमी से ज्यादा पैसे की  अहमियत हो गयी है, यह हमेशा मेरे मन को कष्ट पहुचाते रहता है। आदमी पैसे के लिये इतना कयूं गिरता है, और कहाँ तक गिरेगा ? माना की पैसा महत्वपूर्ण है। लेकिन क्या यह इतना महत्वपूर्ण है कि यह भाई,बहन, पति ,पत्नी , माता पिता और मानवता को दरकिनार करके उसका स्थान ले ले। यह भी माना कि पैसे से ढेर सारी खुशियां ख़रीदी जा  सकती है,परन्तु  सुख, चैन, नींद, सुकून और इमान दारी नहीं।
       एक समय ऐसा आता है जब पैसा अपनी मोल खो देता है, क्योंकि इसकी अहमियत की एक सीमा है। और तब जरुरत उनकी ही हो जाती है, जिनके हक मार कर, हिस्से को हड़प कर, जिन्हें शता कर हम अमीर बनते है। अनमोल रिश्ते नाते परिवार होता है न की पैसा। इनकी अहमियत हम जितना जल्द समझ लें, जीना उतना ही आसान हो जायेगा।

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