सावन का महीना पवित्र महीनों में एक है।सावन को आदिकाल से भगवान शिव से जोड़कर देखा जाता रहा है,जिसके लिए यह मान्यता प्रचलित रही है कि इसी माह में समुद्र मंथन के दौरान निकले हुए अमृत एवम विष में हलाहल विष को भगवान शिव ने समाज की भलाई के लिए पी लिया। ये विष नुकसानी न करे, इसलिए उन्होंने इसे गले से नीचे उतरने नहीं दिया और कंठ में धारण कर नीलकंठ कहलाये।इससे उनका पूरा शरीर नीला पड़ गय तथा विषपायी होने के कारण शरीर में उत्पन्न होनेवाली ऊष्मा को शांत करने के लिए उन्होंने मां गंगा से जल देने का आग्रह किया। तभी से देवगण और मानव उन्हें जलाभिषेक कर राहत देने का प्रयास करते है और कृपा प्राप्त करते है। बेलपत्र चढ़ाने के पीछे भी उसका प्रकृति में शीतल होना है।
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