Friday 8 February 2019

भारतीय शिक्षा प्रणाली की कमियाँ।

हमारे शास्त्रों में कहा गया है-
या विद्या सा विमुक्तये ।
अर्थात विद्या वही है जो हमें विमुक्ति की ओर ले चले।
भारतीय शिक्षा प्रणाली की जब हम बात करते है,तो हमारा इससे तात्पर्य क्या होता है?
  अगर इससे  तात्पर्य हमारी प्राचीन गुरुकुल व्यवस्था से है,जिसमे हमारे ऋषि महर्षिगण नगर से दूर सुरम्य वातावरण में सभी शिष्यों को बिना कोई भेद भाव और फीस के सभी लौकिक विषयों और नैतिकता,धर्म,अध्यात्म आदि की शिक्षा दी जाति थी और शिक्षार्थी को आत्मनिर्भर ता और व्यवसायिक शिक्षा दी जाति थी, से है तो आप खुद पाएंगे कि इस मौजूदा शिक्षा प्रणाली में क्या कमियां दिख रहीँ हैं? हमारी प्राचीन शिक्षा प्रणाली में आज के समाज की सारी दुर्गुणों यथा बेरोजगारी, गरीबी, अनैतिकता, अधार्मिकता , नारी हिंसा आदि का इलाज है , जो कभी भी विफल हो ही नहीं सकती।
हम सभी को पता है कि अंग्रेजो को हमारे देश मे अपनी सत्ता को मजबूती प्रदान करने और सुचारू रूप से चलाने के लिए मन से अंग्रेज और तन से भारतीय योगों की जरूरत थी,जिसे उन्होंने लार्ड मैकाले की अनुशंसा पर हमारी प्राचीन शिक्षा प्रणाली को ध्वस्त कर एक ऐसी शिक्षा प्रणाली थोप दी,जो हमें अंग्रेजी भाषा के जानकार किरानी बनाने वाला, भ्रस्ट, बेईमान, अपनी मातृभूमि, धर्म,अध्यात्म से नफरत करने वाला बनाया। इस शिक्षा प्रणाली का ही देन है कि विद्यार्थी परीक्षा उतीर्ण कर भी खाली दिमाग जीवन में प्रवेश करता है। यह हमें बेईमान,कामुक, भ्रष्ट और बेरोजगार बनाता है फिर इस शिक्षा प्रणाली के प्रभाव में हम अपनी संस्कृति, परम्पराएं,धर्म और देश को नीचा दिखाने और आत्मग्लानि का भाव महसूस कराने वाला बनाता है। इस शिक्षा प्रणाली में देश धर्म संस्कृति का बंटाधार तय है।जिसे बदलकर अपनी प्राचीन शिक्षा प्रणाली से जोड़ने की आवश्यकता है,जैसे डीएवी विद्यालयों एवम सरस्वती शिशु विद्या मन्दिरो आदि में शिक्षा दी जा रही है।

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