Sunday 24 December 2017

चरखे से आजादी पाना। सच या झूठ?

जलती रही जोहर में नारियां
 भेड़िये फ़िर भी मौन थे।
 हमें पढाया गया अकबर महान,
तो फिर महाराणा प्रताप कौन थे।


सड़ती रही लाशें सड़को पर
 गांधी फिर भी मौन थे,
हमें पढ़ाया गांधी के चरखे से आजादी आयी,
तो फांसी चढ़ने वाले 25-25 साल के वो जवान कौन थे


वो रस्सी आज भी  संग्रहालय में है
जिस्से गांधीजी बकरी बांधा करते थे
किन्तु वो रस्सी कहां है
जिस पे भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु हसते हुए झूले थे


" हालात.ए.मुल्क देख के रोया न गया...

कोशिश तो की पर मूंह ढक के सोया न गया".

जाने कितने झूले थे फाँसी पर,कितनो ने गोली खाई थी....

क्यो झूठ बोलते हो साहब, कि चरखे से आजादी आई थी....

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