Sunday 24 December 2017

पद्मावती फिल्म के द्वारा हिन्दू इतिहास का मानमर्दन का कुत्सित प्रयास।


पद्मावती फ़िल्म का ट्रेलर लांच हो चुका है,,,  इस लड़ाई को किसी जाति विशेष की लड़ाई न बनने दें,ये पूरे भारतीय हिन्दू समाज के मान, मर्यादा,अस्मिता और ईज्जत की लड़ाई है । *महापुरुष और वीरांगनाऐ* किसी एक जाति के नहीं होते अपितु पूरे धर्म की विरासत होते हैं ।
दोस्तों, आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूँ कि आजादी के बाद से ही भारत के न्यायपालिका, मीडिया, फिल्म ,शिक्षा आदि में बामपंथी और हिन्दू विरोधी भरे पड़े है। ये हिन्दू समाज की उदारता,सहिष्णुता और सरलता है कि लोग हिन्दू समाज को निशाने पर रखकर  हिन्दू धर्म की हर मान्यता,प्रतीक चिन्ह, देवी देवता की खिल्ली उड़ाते रहे, इसी को अपनी दुकानदारी का विषय बनाते रहे, और हिन्दू समाज चुप बैठ तमाशा देखता रहा। इसी कड़ी में भारत के महापुरुषों का चरित्र हनन और मज़ाक बनाना जारी है। यह विरोध इसलिए भी जरूरी है।
मित्रो, आप खुद देख लीजिए न्यायपालिका हिन्दू धर्म की हर मान्यता में अपनी टांग अड़ाता है। मसलन, होली में पानी की बर्बादी होती है, दीवाली में प्रदूषण लेकिन अंग्रेजी नववर्ष की प्रदूषण, शोर शराबा, बकरीद में जीव हत्या नहीं दिखायी पड़ती।मीडिया उसी तरह देश और हिन्दू धर्म विरोधी अपना रुख दर्शाता है। इतिहास की पुस्तकों में बामपंथियों ने झूठ का पुलिंदा भर रखा है  मसलन- आर्य भारत के मूल निवासी नहीं थे, आर्य गौमांस खाते थे, सिकंदर विश्व विजेता था यानि उसने भारत को भी जीत लिया था, अकबर महान था, अकबर की शादी जोधपुर की राजकुमारी जोधाबाई से हुयी थी  आदि आदि। फिल्मो की बात करें तो आप अनेको फिल्मो मसलन पीके आदि में हिन्दू देवी देवता, मान्यता,पूजा पाठ आदि को मजाक बनाते, भौंडे तरीके से दर्शाते और इस्लाम के प्रति श्रद्धा दिखाते फिल्माया जाता है। आपको  याद होगा दीपा मेहता ने हिन्दू संस्कृति के पांचों स्तम्भ क्षिति, जल, पावक,गगन, समीर को झुठलाने हेतु वाटर, फायर आदि फिल्म बनाई थी। जिन लोगों ने मेरे साथ वर्ष 1999 - 2002 सत्र में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में विद्याध्ययन किया हो,उन्हें याद होगा की कैसे काशी में दीपा का विरोध हुआ और वह वाटर फिल्म की शूटिंग नहीं कर पाई तथा इसे कनाडा में पूरा की। आज  बाजीराव मस्तानी और रानी पद्मिनी जैसे फिल्म बनाकर संजय लीला भंसाली महान योद्धा बाजीराव और अप्रतिम सौन्दर्य की देवी महान वीरांगना  रानी पद्मिनी का चरित्र हनन कर रहे और दीपा मेहता छाप फिल्मकारों का काम आगे बढ़ा रहे। आखिर भारतीय महापुरुष और देवी देवता ही बम्बईया छाप गन्दी फिल्मो का विषय कयूं ? अगरबत्ती और चप्पल पर हिन्दू देवी देवता का ही फोटो कयूं डाला जाता है?

दोस्तों, हमे इसे समझना ही  होगा। आप तथाकथित प्रगतिशील यानि सेकुलर बनकर आँख मूंदे मत रहिये। दूसरे धर्म के लोग चाहे कितने भी आधुनिक कयूं न हों, अपने धर्म और धार्मिक मान्यता,चिन्ह, महापुरुषों का अपमान या खिल्ली उडाना जरा भी पसंद नहीं करते, फिर हम अगर अपने धर्म, राष्ट्र के  सम्मान के लिए उठ खड़े होंगे तो पिछड़ा,दकियानुष,कट्टरपंथी नहीं कहलायेंगे, बल्कि धर्मभक्त,राष्ट्रभक्त और स्वाभिमानी कहलायेंगे। इसलिए उठ खड़ा होइए, विरोध कीजिये और अगर कुछ नहीं कर सकते तो खुद जागरूक बनिये और दूसरे को भी जगाइये।
यकीन मानिए, हमे विधर्म और विधर्मियो से नफरत नहीं पर अपने धर्म और धर्म प्रतिक को अपमानित कर दूसरे का सम्मान भी बर्दाश्त नहीं।
अपने देश, धर्म से जुड़े मान्यता, प्रतिक,देवी देवता और महापुरुषों की रक्षा हेतु अगर हिन्दू युवा आज उठ खड़ा नहीं हुआ तो कल फिर कोई अन्य महापुरुष या देवी देवता गन्दी फिल्मो का विषय होगा या फिर कोई अन्य रानी पद्मिनी का किरदार फिल्मो में अलाउद्दीन जैसे लुटेरा,बहशी के आगे मुजरा करते दिखेगी।
समय बदल रहा है। हिन्दू समाज देश समाज में जारी हर अपमानवाली कार्यो के विरूद्ध धर्मयुद्ध कर रहा, उसका हिस्सा बनिये।
अतः देश भर में वाइरल इस कविता को एक बार फिर शेयर कर रहा हूँ...इसे इतना शेयर करो कि आपका हर शेयर हिन्दू राष्ट्र,धर्म के विरोधी हर संजय लीला भंसाली अथवा अन्य फिल्मकारों के मुँह पर तमाचे की तरह लगे.. पद्मावती रानी के त्याग का अल्प इतिहास बताते हुए संजय लीला भंसाली को चेतावनी -

*बॉलीवुड में भांड भरे है, नीयत इनकी काली है*...
*इतिहासों को बदल रहे, संजय लीला भंसाली है*...

*चालीस युद्ध जीतने वाले को ना वीर बताया था*...
*संजय तुमने बाजीराव को बस आशिक़ दर्शाया था*...

*सहनशीलता की संजय हर बात पुरानी छोड़ चुके*...
*देश धर्म की खातिर हम कितनी मस्तानी छोड़ चुके*...

*अपराध जघन्य है तेरा, दोषी बॉलीवुड सारा है*...
*इसलिए 'करणी सेना' ने सेट पर जाकर मारा है*...

*संजय तुमको मर्द मानता, जो अजमेर भी जाते तुम*...
*दरगाह वाले हाजी का भी नरसंहार दिखाते तुम*...

*सच्चा कलमकार हूँ संजय, दर्पण तुम्हे दिखाता हूँ*...
*जौहर पदमा रानी का, तुमको आज बताता हूँ*...

*सुन्दर रूप देख रानी का बैर लिया था खिलजी ने*...
*चित्तौड़ दुर्ग का कोना कोना घेर लिया था खिलजी ने*...

*मांस नोचते गिद्धों से, लड़ते वो शाकाहारी थे*...
*मुट्ठी भर थे राजपूत, लेकिन मुगलो पर भारी थे*...

*राजपूतो की देख वीरता, खिलजी उस दिन काँप गया*...
*लड़कर जीत नहीं सकता वो ये सच्चाई भांप गया*...

*राजा रतन सिंह से बोला, राजा इतना काम करो*...
*हिंसा में नुकसान सभी का अभी युद्ध विराम करो*...

*पैगाम हमारा जाकर रानी पद्मावती को बतला दो*...
*चेहरा विश्व सुंदरी का बस दर्पण में ही दिखला दो*...

*राजा ने रानी से बोला रानी मान गयी थी जी*...
*चित्तौड़ नहीं ढहने दूंगी ये रानी ठान गयी थी जी*...

*अगले दिन चित्तौड़ में खिलजी सेनापति के संग आया*...
*समकक्ष रूप चंद्रमा सा पद्मावती ने दिखलाया*...

*रूप देखकर रानी का खिलजी घायल सा लगता था*...
*दुष्ट दरिंदा पापी वो पागल पागल सा लगता था*...

*रतन सिंह थे भोले राजा उस खिलजी से   छले गए*...
*कैद किया खिलजी ने उनको जेलखाने में चले गए*...

*खिलजी ने सन्देश दिया चित्तौड़ की शान बक्श दूंगा*...
*मेरी रानी बन जाओ,,,,, राजा की जान बक्श दूंगा*...

*रानी ने सन्देश लिखा,, मैं तन मन अर्पण करती हूँ*...
*संग में नौ सौ दासी है और स्वयं समर्पण करती हूँ*...

*सभी पालकी में रानी ने बस सेना ही बिठाई थी*...
*सारी पालकी उस दुर्गा ने खिलजी को भिजवाई थी*...

*सेना भेजकर रानी ने जय जय श्री राम बोल दिया*...
*अग्नि कुंड तैयार किया था और साका भी खोल दिया*...

*मिली सूचना सारे सैनिक, मौत के घाट उतार दिए*...
*और दुष्ट खिलजी ने राजा रतन सिंह भी मार दिए*...

*मानो अग्नि कुंड की अग्नि उस दिन पानी पानी थी*...
*सोलह हजार नारियो के संग जलती पदमा रानी थी*...

*सच्चाई को दिखलाओ,,,, हम सभी सत्य स्वीकारेंगे*...
*झूठ दिखाओगे संजय,,, तो मुम्बई आकर मारेंगे*...

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निवेदक
कमल किशोर प्रसाद,                                          विधि सलाहकार,चतरा,झारखण्ड ।
tikhimirchiofadvocatekamal.blogspot.com

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